दरवाज़ा खुला, फर्श पर एक छाया खड़ी थी
खड़ी? खड़ी नहीं पड़ी थी
मेरा मतलब छाया फर्श पर थी
कुछ देर वो वहीं रुकी
वो छाया
फिर आहिस्ता से हिली
और दूसरे कमरे की तरफ चली
वहां रुकी
छाया का सिर हल्का सा इधर-उधर घूमा
वो कुछ देख रही थी या भांप रही थी
थोड़ी देर में छाया की बाहें हिलीं
फिर इधर उधर घूमने लगीं
पहले ज़रा आराम से फिर ज़ोर से
थोड़ी देर में वो रुक गयीं
अब उसका सर एक तरफ मुड़ा
फिर दूसरी तरफ
फिर ये सिलसिला शुरू हो गया
दाएं बाएं ऊपर नीचे
फिर गोल गोल चारों ओर
अब सब शांत हो गया
शायद ये काम ख़तम हो गया होगा
छाया के हाथ कमर पर रुक गए
फिर वो एक तरफ मुड़ी और कुछ जांचा
फिर दूसरी तरफ
उसने देखा कि और किस किस की छाया वहां हैं
एक छाया टेबल की है
दो कुर्सियां भी हैं अपनी अपनी छाया के साथ
छाया ने इन छायाओं के बीच की जगह को परखा
सोचा काफी जगह है
और धीरे धीरे टहलना शुरू किया
पहले ज़रा संभल के
आहिस्ता आहिस्ता
फिर तेज़ और तेज़
कई मिनट टहलने के बाद
एक अजीब बात हुई
काफी अजीब
हुआ ये के छाया पर पानी कुछ बूँदें आ गिरीं
पर उन बूंदों की कोई छाया नहीं थी
अगर होगी भी शायद, तो उस वक़्त
जब वो ऊपर से नीचे गिर रही होंगी
अब छाया कैसे सोच सकती है
कि उसके माथे पर भी पसीना आ सकता है
इंसान की जितनी क्षमता और योग्यता है
जितने लक्ष्य वो हासिल कर सकता है
वो उस सबका छाया मात्र ही प्राप्त कर पा रहा है
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